हम बेचारे

टी.वी. के छोटे पर्देपर घर-घर में जो अनिवार्य है। जहाँ अभी तक. भाई-बहन, माता-पिता, दादा-दादी, से भरे हुए घर हैं।…

बौना

मैं जब भी तुम्हारी ऊँचाई को देखता हूँ बेबस हो जाता हूँ, दिल से चीखें उठती हैं । जी चाहता…

कौन हू में

कोई अगर पूछता है, कौन हो तुम ? घबड़ा के डायरी, निकालती हूँ मैं। अपना नाम उसमें, ढूँढती हूँ। स्वयं…

कौन रोकेगा इनको

दंगे फसाद । यहाँ भ्रष्टाचार, वहाँ आग, डरे सहमे बचे सहमा हुआ बुढ़ापा, सवाल है जवानों के, असुरक्षित भविष्य का…